प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का संबंध दशकों पुराना है। एक साधारण स्वयंसेवक से देश के प्रधानमंत्री बनने तक, मोदी का सफर संघ के मार्गदर्शन में रहा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री बनने के 11 साल बाद, मोदी ने नागपुर स्थित RSS मुख्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने संघ की प्रशंसा की और इसे भारतीय संस्कृति का ‘अक्षय वटवृक्ष’ बताया。
मोदी के नेतृत्व में, सरकार ने आरक्षण नीति और मुस्लिम समुदाय के प्रति अपने रुख में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन परिवर्तनों ने देश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है। मोदी और RSS के बीच यह संबंध और उनकी नीतियों में बदलाव की यह कहानी भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
सरकार में RSS की पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों की संख्या:
मोदी सरकार में संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले मंत्रियों की संख्या महत्वपूर्ण है। 2019 में, भाजपा के 53 मंत्रियों में से 38 मंत्री संघ से जुड़े थे, जो कुल मंत्रियों का 71 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियों और निर्णयों में संघ की विचारधारा का प्रभाव महत्वपूर्ण है।
RSS के 100वें वर्ष में प्रवेश पर प्रधानमंत्री की बधाई:
वर्ष 2024 में, RSS ने अपने 100वें वर्ष में प्रवेश किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ की राष्ट्र सेवा में समर्पित भूमिका की सराहना की और समस्त स्वयंसेवकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “मां भारती के लिए यह संकल्प और समर्पण देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ ही विकसित भारत को साकार करने में भी नई ऊर्जा भरने वाला है।
इन तथ्यों से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, लेकिन संघ स्वतंत्र रूप से काम करने वाले व्यक्तियों या संगठनों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं रखता। सरकार में संघ की पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति नीतियों और निर्णयों में संघ की विचारधारा के प्रभाव को दर्शाती है।
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