राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना
अयोध्या के श्री राम मंदिर में 14 अप्रैल 2025 को एक ऐतिहासिक पल दर्ज हुआ, जब राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना वैदिक मंत्रोच्चार और हवन-पूजन के साथ की गई। सुबह पूजा-अर्चना के बाद टॉप-स्लीविंग क्रेन की मदद से कलश को मंदिर के मुख्य शिखर पर स्थापित किया गया। यह नजारा राम भक्तों के लिए आस्था और गर्व का क्षण था। इसके साथ ही, मंदिर परिसर की सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई बड़े कदमों की घोषणा भी की गई।
वैदिक रीति से हुई कलश स्थापना
राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना से पहले विशेष पूजा की गई। वैदिक मंत्रों के बीच हवन और पूजन के बाद कलश को शिखर पर रखा गया। इस दौरान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा मौजूद रहे। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और 15 मई 2025 तक शिखर पर ध्वज दंड, लाइटनिंग रॉड और एविएशन लाइट भी स्थापित हो जाएंगे।
4 किमी लंबी सुरक्षा दीवार
राम मंदिर की सुरक्षा के लिए 4 किलोमीटर लंबी दीवार का निर्माण जल्द शुरू होगा। राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना के साथ ही इस दीवार की योजना पर भी चर्चा हुई। इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। दीवार की ऊंचाई और मोटाई का फैसला मिट्टी की जांच के बाद होगा। यह दीवार डेढ़ साल में बनकर तैयार होगी, जो मंदिर परिसर को और सुरक्षित बनाएगी।
श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं
राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना के मौके पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई घोषणाएं की गईं:
- शू रैक और साधना स्थल: 10 एकड़ जमीन पर 62 काउंटर वाला शू रैक और साधना स्थल बनेगा, जहां श्रद्धालु पूजा-पाठ कर सकेंगे।
- हरियाली: कुबेर टीला और साधना स्थल तक हरियाली बढ़ाई जाएगी।
- कैनोपी: धूप और बारिश से बचाने के लिए दर्शन मार्ग पर स्थायी कैनोपी लगाई गई है, जिसे लार्सन एंड टुब्रो और राजकीय निर्माण निगम ने तैयार किया।
- यात्री सुविधा केंद्र: इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि ज्यादा श्रद्धालु लाभ उठा सकें।
मूर्तियों की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा
राम मंदिर परिसर में 18 मंदिर बनाए जा रहे हैं, जिनमें 18 मूर्तियों की स्थापना होगी। राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना के साथ ही मूर्तियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। जयपुर से परकोटे और सप्त ऋषि मंदिरों की मूर्तियां अयोध्या पहुंच रही हैं। 30 अप्रैल 2025 तक सभी मूर्तियां अपने स्थान पर रख दी जाएंगी। जून में तीन दिन तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा, जिसमें निम्नलिखित मूर्तियां शामिल हैं:
- परकोटा: सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और हनुमान जी।
- सप्त मंडप: महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, शबरी और अहिल्या।
- शेषावतार मंदिर: लक्ष्मण जी की मूर्ति।
राम दरबार और भव्य गर्भगृह
मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार का गर्भगृह तैयार हो रहा है। यहां राम और सीता की साढ़े चार फीट ऊंची मूर्तियां होंगी, जबकि तीनों भाइयों की मूर्तियां साढ़े तीन फीट की होंगी। हनुमान जी की डेढ़ से दो फीट की मूर्ति सीता-राम के चरणों में होगी। दूसरी मंजिल पर रामेश्वरम में शिव की पूजा करते राम की मूर्ति स्थापित होगी। गर्भगृह में जयपुर के पिंक सैंडस्टोन और सफेद संगमरमर से बनी नक्काशी मंदिर की शोभा बढ़ा रही है।
जन्मभूमि की मिट्टी का सम्मान
राम जन्मभूमि की मिट्टी को लेकर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह पूजनीय है और इसे परिसर से बाहर नहीं ले जाया जाएगा। राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि साधना स्थल और पार्क को समतल करने के लिए इस मिट्टी का उपयोग होगा। राम भक्तों की आस्था का सम्मान करते हुए कोई भी फैसला लिया जाएगा।
मंदिर की भव्यता और इतिहास
राम मंदिर के 70 एकड़ परिसर में कुल 18 मंदिर बन रहे हैं, जिनमें रामलला का मुख्य मंदिर, कुबेरेश्वर महादेव, गोस्वामी तुलसीदास और शेषावतार मंदिर शामिल हैं। परकोटे में 90 कांस्य भित्तिचित्र लगाए जाएंगे, जिनमें से 11 तैयार हो चुके हैं। मंदिर के 500 साल के संघर्ष को दर्शाने वाली पीतल की प्लेट को अब यात्री सुविधा केंद्र पर लगाया गया है, ताकि श्रद्धालु इसे आसानी से पढ़ सकें।
लाइटिंग और तकनीकी व्यवस्था
राम मंदिर के शिखर पर कलश स्थापना के बाद मंदिर की लाइटिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है। नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि लाइटिंग ऐसी होगी, जो मंदिर की आध्यात्मिक भव्यता को बढ़ाए, न कि इसे पिकनिक स्पॉट जैसा बनाए। इसके अलावा, आकाशीय बिजली से बचाव के लिए लाइटनिंग रॉड और हवाई जहाजों के लिए एविएशन लाइट भी लगाई जाएगी।
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