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संदेशखाली गैंगरेप पीड़िताएं 14 महीने बाद भी डर में: शाहजहां शेख के गुंडों की धमकियां | New PaperDoll

संदेशखाली गैंगरेप पीड़िताएं 14 महीने बाद भी डर में: शाहजहां शेख के गुंडों की धमकियां | New PaperDoll

संदेशखाली गैंगरेप पीड़िताएं: 14 महीने बाद भी डर का साया

पश्चिम बंगाल का संदेशखाली। साल 2024 में यहां गैंगरेप और यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। टीएमसी के पूर्व नेता शाहजहां शेख और उनके साथियों पर गंभीर आरोप लगे। लेकिन 14 महीने बाद भी हालात नहीं बदले। गांव की महिलाएं डर में जी रही हैं। शाहजहां के गुंडे अब भी धमकियां दे रहे हैं। चुनाव के बाद नेता इनका हाल पूछने नहीं आए। आइए, जानते हैं इन महिलाओं की दर्दनाक कहानी।

शाहजहां शेख का आतंक: एक झलक

संदेशखाली एक छोटा-सा टापू है। यहां की जमीन अब बंजर हो चुकी है। तालाब सूख गए हैं, खेती का कोई रास्ता नहीं। लेकिन सबसे बड़ी मुसीबत है डर। शाहजहां शेख और उनके गुर्गों ने सालों तक महिलाओं पर जुल्म ढाए। ऑफिस बुलाकर दुष्कर्म, जमीन हड़पना और मारपीट उनके लिए आम बात थी। इस मामले में 19 केस दर्ज हुए, जो अब एक केस में मिला दिए गए हैं।

पीड़िताओं की आपबीती: डर अब भी कायम

वसंती (बदला हुआ नाम)

वसंती उन महिलाओं में से हैं, जिन्होंने शाहजहां के खिलाफ केस दर्ज कराया। वे बताती हैं, “शाहजहां और उसके साथी जेल में हैं, लेकिन मुझे अब भी धमकी भरे फोन आते हैं। अमजदुल सरदार नाम का एक शख्स मुझे जान से मारने की धमकी देता है।” वसंती के पति और बड़ा बेटा गुजरात में काम करते हैं। अकेले में उनका डर और बढ़ जाता है।

पियाली दास

पियाली ने शाहजहां के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। वे कहती हैं, “पहले गांव में इतना खौफ था कि लोग एक-दूसरे से बात भी नहीं करते थे। अब हालात थोड़े बेहतर हैं, लेकिन शाहजहां जेल से भी धमकियां दिलवा रहा है।” उनके दोस्त रुबीन मंडल की सब्जी मार्केट शाहजहां ने हड़प ली थी। उनके परिवार को आज भी धमकियां मिलती हैं।

जोशना दास

जोशना की 7.5 बीघा जमीन शाहजहां और शिबू हाजरा ने छीन ली थी। उनके बड़े बेटे की हत्या कर दी गई। वे कहती हैं, “जमीन तो वापस मिली, लेकिन अब बंजर है। खेती के लिए पैसे नहीं हैं। रात को शाहजहां के लोग धमकाने आते हैं।” जोशना आज भी गरीबी और डर के बीच जी रही हैं।

नेताओं का रवैया: चुनाव बाद सब भूल गए

2024 के लोकसभा चुनाव में संदेशखाली का मुद्दा खूब चर्चा में रहा। बीजेपी ने रेखा पात्रा को टिकट दिया, लेकिन अब कोई नेता गांव का हाल जानने नहीं आता। टीएमसी का कहना है कि यह केस फर्जी था और बीजेपी ने इसे भुनाया। बीजेपी दावा करती है कि वे अब भी गांववालों के साथ हैं। लेकिन सच्चाई यही है कि पीड़िताएं अकेली हैं।

गांव में बदलाव की कोशिश

शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद गांववालों ने पहली बार मंदिर बनवाया। गौरी सरदार बताती हैं, “पहले कोई त्योहार नहीं मना सकता था। अब हम पूजा और मेला लगाना चाहते हैं।” लेकिन पानी की कमी और गरीबी उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। गांव की जमीन बंजर है, और तालाबों में पानी नहीं बचा।

कोर्ट में अटका मामला

शाहजहां का केस हाईकोर्ट में लटका हुआ है। सीबीआई जांच कर रही है, लेकिन अगली सुनवाई की तारीख का कोई अंदाजा नहीं। पीड़िताओं की वकील प्रियंका टिबरेवाल कहती हैं, “देरी की वजह सीबीआई ही बता सकती है।”

संदेशखाली की हकीकत क्या है?

संदेशखाली की महिलाएं आज भी डर और गरीबी से जूझ रही हैं। शाहजहां जेल में है, लेकिन उसका खौफ खत्म नहीं हुआ। गांववाले चाहते हैं कि उनकी जमीन फिर से उपजाऊ हो और उन्हें इंसाफ मिले। सवाल यह है—क्या कोई उनकी आवाज सुनेगा?

6. Summary (Point-wise)

  • मामला: संदेशखाली में शाहजहां शेख पर गैंगरेप, यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप।
  • आज की स्थिति: 14 महीने बाद भी पीड़िताओं को धमकियां मिल रही हैं।
  • पीड़िताओं का दर्द: वसंती, पियाली और जोशना डर और गरीबी में जी रही हैं।
  • नेताओं का रुख: चुनाव के बाद बीजेपी और टीएमसी ने गांव को भुला दिया।
  • गांव की कोशिश: मंदिर बनवाया गया, लेकिन पानी और खेती की समस्या बनी हुई है।
  • कानूनी स्थिति: केस हाईकोर्ट में लटका, सीबीआई जांच जारी।

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