डॉक्टर बताते हैं, मौसम बदलते ही लोगों के बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण इन्फ्लूएंजा संक्रमण को माना जाता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिर और शरीर में दर्द, खांसी, बंद नाक या नाक बहने के साथ थकान और कमजोरी की समस्या हो सकती है।
फरवरी की शुरुआत होते ही राजधानी दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में मौसम तेजी से बदलने लगा है। दिन में तेज धूप और सुबह-शाम हल्की सर्दी वाला ये मौसम आपकी सेहत के लिए दिक्कतें बढ़ा सकता है। दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों से मिल रही जानकारियों के मुताबिक मौसम में हो रहे बदलाव के साथ सीजनल फ्लू और इससे संबंधित बीमारियों के मामले में भी वृद्धि देखी जा रही है। बड़ी संख्या में लोग सर्दी-जुकाम, बुखार और गले में खराश की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।
डॉक्टर बताते हैं, मौसम बदलते ही लोगों के बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण इन्फ्लूएंजा संक्रमण को माना जा रहा है। इन्फ्लूएंजा के वायरस अनुकूल मौसम में तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं जिसके कारण बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी संक्रमित हो सकता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिर और शरीर में दर्द, खांसी, बंद नाक या नाक बहने के साथ थकान और कमजोरी की समस्या हो सकती है।
आमतौर पर इन्फ्लूएंजा का संक्रमण कुछ दिनों में खुद से या फिर हल्के उपचार के माध्यम से ठीक हो जाता है, पर अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या या गर्भवती महिलाओं में इसके कारण स्वास्थ्य जटिलताओं के बढ़ने का खतरा हो सकता है। फ्लू संक्रमण से बचाव को लेकर सभी लोगो को निरंतर सावधानी बरतते रहना चाहिए।
मौसमी बुखार या सीजनल फ्लू का खतरा
डॉक्टर कहते हैं, मौसमी बुखार या सीजनल फ्लू एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो मौसम बदलने पर अधिक देखने को मिलती है। यह एक वायरल संक्रमण है जो विशेष रूप से बारिश, सर्दी तथा वसंत ऋतु में फैलता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कुपोषण के शिकार या फिर जिन लोगों को पहले से कोई गंभीर बीमारी हो उन लोगों में इस प्रकार के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है।
इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क या छींकने और खांसने से निकलनी वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से भी आप इस संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। मौसमी बुखार के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। ये आपको किस तरह से बीमार कर सकता है ये व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है।
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