सूर्य को अर्घ्य: दिन की शुभ शुरुआत
वरुथिनी एकादशी 2025 पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्घ्य दें। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। यह उपाय रोज करना शुभ है, लेकिन एकादशी पर विशेष फल देता है। सूर्य की कृपा से आत्मविश्वास और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
विष्णु और शिव परिवार की पूजा
एकादशी भगवान विष्णु की तिथि है, लेकिन इस दिन शिव- शिव परिवार की पूजा भी जरूरी है। शिव परिवार में शिव जी, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और नागदेव शामिल हैं। वरुथिनी एकादशी 2025 पर:
- शिवलिंग पर जल और दूध से अभिषेक करें।
- चंदन का लेप लगाएं और पीले फूलों से श्रृंगार करें।
- देवी पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं।
- गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
यह पूजा परिवार में सुख-शांति लाती है।
बाल गोपाल का पंचामृत अभिषेक
वरुथिनी एकादशी 2025 पर बाल गोपाल (श्रीकृष्ण) की पूजा विशेष फलदायी है। बाल गोपाल को:
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक कराएं।
- शुद्ध जल से स्नान कराकर हार-फूल और नए वस्त्र पहनाएं।
- माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।
- कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
यह उपाय मनोकामनाएं पूरी करता है और जीवन में मिठास लाता है।
तुलसी पूजा: विष्णु प्रिया की कृपा
तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है, इसलिए वरुथिनी एकादशी 2025 पर तुलसी पूजा जरूरी है। सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। यह उपाय भगवान विष्णु की कृपा और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
गुरु ग्रह पूजा: चने की दाल का दान
24 अप्रैल को गुरुवार होने से गुरु ग्रह की पूजा का महत्व बढ़ जाता है। गुरु ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है, जो वैवाहिक जीवन और भाग्य को प्रभावित करता है। वरुथिनी एकादशी 2025 पर:
- शिवलिंग पर चंदन का लेप और पीले फूल चढ़ाएं।
- बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
- चने की दाल का दान करें।
- ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
यह उपाय कुंडली में गुरु ग्रह के दोष दूर करता है और भाग्य का साथ देता है।
समरी: वरुथिनी एकादशी 2025 की मुख्य बातें
- तिथि: 24 अप्रैल 2025, वैशाख कृष्ण एकादशी, गुरुवार।
- महत्व: सूर्य ग्रहण के दान जितना पुण्य, पाप कर्मों का नाश।
- उपाय:
- सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य।
- विष्णु और शिव परिवार की पूजा, शिवलिंग पर चंदन।
- बाल गोपाल का पंचामृत अभिषेक, माखन-मिश्री भोग।
- तुलसी के पास दीपक और परिक्रमा।
- गुरु ग्रह के लिए चने की दाल दान।
- लाभ: मनोकामना पूर्ति, बाधा निवारण, सुख-समृद्धि।
क्यों खास है वरुथिनी एकादशी 2025?
वरुथिनी एकादशी 2025 का गुरुवार के साथ संयोग इसे और शुभ बनाता है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से भगवान विष्णु, शिव और गुरु ग्रह की कृपा मिलती है। ये उपाय न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देते हैं, बल्कि जीवन की समस्याओं को भी दूर करते हैं। क्या आप इस एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं? अपनी योजना कमेंट में शेयर करें।

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